Shilpa modi

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समायरा का सिटी बजाना -- पार्ट - 14





शाश्वत, बिना किसी के इजाजत के किसी की चीजें नहीं छूनी चाहिए। सच बोलता तो वो मुझे अच्छा खासा लेक्चर दे देती तो? खैर उस वक्त दिमाग में जो आया वो मैनें अपने बचाव में कहकर खुद को सुरक्षित कर लिया। 

उसके बाद क्या हुआ शाश्वत? 

उसके बाद,,, उसके बाद वो सीधी सी दिखने वाली लड़की जो कि थी नहीं मुझसे लड़ने लगी ये कहकर तुमने मुझे विचित्र क्यों कहा? अपने ही एटिट्यूड में अपने चेहरे पर हाथ फेरते हुए, क्या विचित्र दिख रहा है मुझमें? बाकि लोगो की तरह मैं भी हाड़मांस की बनी इंसान हूँ। 
बिल्कुल हो, आम इंसान की तरह इंसान लेकिन तुम्हारी शौक और पसंद अलग है। 
अपनी आँखों को विंक करते हुए तुम मुझे जानते कितना हो अभी अभी तो मिलें हो और इतनी जल्दी मेरे शौक और पसंद जान गए,,,,,
वावावावा,,,,,, कोई अंतर्यामी हो क्या, हुंह जाओ,,, जाओ,,, खालीपिली मेरा दिमाग मत खराब करो। शाश्वत बड़बड़ाते हुए विचित्र को विचित्र ही तो बोलूंगा,,,, लगभग सभी लड़कियां छिपकली और काॅकरोच से डरती है मगर तुम और तुम्हारे शौक तो बड़े विचित्र है। उसी को अपनी साज सज्जा का जरिया बना रखी हो। 
मतलब क्या है तुम्हारा?? लो लगा तुम रखी हो, मतलब हमसे पूछ रही हो, बड़ी अजीब लड़की हो तुम तो, ये जो तुम अपने सिर पर छिपकली के रंग रूप की प्लास्टिक की क्लीप लगा रखी हो,,, उसके लिए बोल रहें थे हम,,
सुनकर मेरी बात परिधि के होश ही ठंडे हो गए। उस वक्त उसका चेहरा देखने लायक था, और उसकी एटिट्यूड की तो हवा ही निकल गई थी वो डर के मारे थूक को गले में गटक रही थी। 

मैं अपना साबूदाना की पैकेट लेकर जाना के लिए मुड़ा ही था कि मुझे जाता देखकर ,,, ऐ,,,, ऐ,, सुनो इधर,,,, किधर जा रहे हो,, मुझे जाते हुए को रोकते हुए.,,,,अपने सिर पर इंगित करती हुई,,,, हटाओ इसे मेरे सिर पर से,,,,, ये मैंने नहीं लगाया है न जाने कब ये मेरे सिर पर गिर गई है। अब चौंकने की बारी मेरी थी,,,,ये तुमने नहीं लगाया मतलब ये असली है। 

वैसे तुम मुझे आर्डर दे रही हो,,,,,, या रिक्वेस्ट कर रही हो? 
डर से भरी परिधि की बड़ी आँखे और बड़ी हो गई। 

बेचारगी सा मुँह बनाते हुए,अपने दोनों हथेलियों को जोड़ते हुए अरे! बाबा रिक्वेस्ट कर रही हूँ,,,,शाश्वत से बोलते हुए परिधि अपने सिर को बार बार झटक रही थी मगर वो बंदी( छिपकली) की पकड़ बड़ी मजबूत थी,वो टस से मस ही नहीं हो रही थी।


मैनें परिधि का मजा लेते हुए,,,, लगता है तुम्हारे घुंघराले बाल बहुत पसंद आ गए है इसलिए वो मजबूती से पकड़ के रख रखी है लगता है फेविकोल का जोड़ है छूटेगा नहीं,,,,,,, तुम दोनों का आपस का प्यार देखकर एक गाना याद आ रहा है ,,,,, तेरा मेरा प्यार अमर फिर क्यों मुझको लगता है,,,,

हा,,,,, हा,,,,, हा
मेरा ऐसे बोलते ही परिधि की सूरत, रोनी सूरत में तब्दील हो गई। उसके चेहरे को देखकर,,, मुझे एहसास हुआ कि इसे और तंग नहीं करना चाहिए,,, कुछ ज्यादा ही मजाक हो गया है,,,, 
मैनें कहा अच्छा रूको सोचता हूँ,,,,,,


इतनी हिम्मत तो मुझमें भी नहीं थी कि उस छिपकली को हाथ से हटा दूँ, रास्ते पर से एक लकड़ी का तिनका उठा कर लाया हालत तो मेरी भी भीतर से पस्त थी फिर भी कंपकंपाते हाथ से छिपकली को हटाने की कोशिश की मगर वो इतनी बड़ी जिददन थी की उसकी बाल में बहुत देर तक झूलती रही। मेरे अथक प्रयास के बाद वो बाल से हटकर उसके कंधे पर जा गिरी, कंधे पर गिरते ही परिधि ने अपनी नजर टेढी करके जैसे ही देखा वो उछल - उछल कर चिल्लाते हुए दुकान में चक्कर लगाने लगी, उसे रोकने के लिए आगे - आगे वो उसके पीछे - पीछे मैं। इसी भागमभाग में छिपकली उसके शरीर से तो अलग हो गई मगर परिधि की खुशी हमें महँगी पड़ गई।


हुआ यूंँ वो खुशी के मारे रैक से टकरा गई रेक पर धक्का लगते ही मैदा का बोरा खुला हुआ था वो सरककर हमारे ऊपर गिर गया और हम दोनों सिर से लेकर पाँव तक सफेद भूत बन गए।


परिधि मुझे देखकर हंसी जा रही थी और मैं परिधि को,,,, तब तक परिधि के बाऊजी भी दुकान आ गए,,,, एकबार वो मुझे तो कभी परिधि को देखे जा रहें थे। फिर उन्होंने परिधि से पूछा ये कैसा हुआ,,,, परिधि ने अब तक जो हुआ वो सारा वाक्या कह सुनाया,,, काका मैदा के बोरे को ठीक करके उसे रेक में पीछे की ओर सरकाकर बोले जाओ, तुम दोनों घर जाकर अपने कपड़े बदल लो,,,, 
मैं अपने कपड़े झाड़कर जाने लगा तो काका ने बोला


"अरे! शाश्वत बेटा साबूदाना लेते जाईए वरना एक तो लेट जा रहें हो ऊपर से खाली हाथ जाएंगे तो ठाकुमाँ बहुत नाराज होगी।" 
ओह काका, मैं तो भूल ही गया था अच्छा हुआ आपने याद दिला दिया। 
शाश्वत, अभी बोलते हुए रूका ही था कि समायरा, ऊंगली और अंगुठे को अपने होठ के मध्य रखकर जोरदार सीटी बजाती हुई ओए,,,, होए,,,, शाश्वत आपकी और परिधि की मुलाकात तो बिल्कुल फिल्मी स्टाईल में हुई थी। 

हा हा हा सही कह रही हो,,,,, रूक क्यों गए बताईए न आगे क्या हुआ? 
बाद में बताऊँगा, पहले घड़ी तो देखो, क्यों क्या हुआ घड़ी में? मुझे किस लिए बुलाया था गांँव से याद है कि नहीं इसलिए कह रहा हूंँ पहले घड़ी तो देखो , समायरा की नजर जैसे ही घड़ी के कांटे पर गई, अपना सर पीटते हुए बातों ही बातों में समय कहाँ चला गया पता ही नहीं चला। समायरा, शाश्वत को टॉवल देते हुए जाईए जल्दी से नहा लिजिए आर्टिटेक्ट आने वाला है। शाश्वत समायरा के कान के पास आकर तुम भी चलो न साथ में बहुत दिन हो गए साथ में नहाआआआए हुए। समायरा शाश्वत को बाथरूम के अंदर धकेलते हुए आपका दिमाग खराब हो गया है क्या? एक तो हमें ऐसे ही देर हो रही ऊपर से रोमांस सूझ रहा है आपको। शाश्वत, हाय रे मेरी किस्मत एकदम ठंडी बीवी मिली है। रोमांस का ए बी सी डी सिखाते सिखाते थक गया हूंँ असर तो होता है मगर इम्प्लीमेंट नहीं कर पाती है।


शाश्वत बाथरूम के अंदर से ही, समायरा मेरे पहनने के कपड़े निकाल देना, नहीं तो बाद में कहोगी कि आपको तो बुद्धि नहीं है एकदम, कब क्या पहनकर जाना है। क्या गलत कहती हूंँ, करते तो आप ऐसा ही हैं।


समायरा अलमारी खोलते हुए इतने बड़े हो गए है कपड़े भी निकालने ढंग से नहीं आता। एक शर्ट निकालने के लिए पूरा रेक ही उथल-पुथल करके रख देते है।


शाश्वत आपके पहनने के कपड़े बेड पर निकाल कर रख दिया है। जल्दी से रेडी हो जाईएगा दर्पण निहारते मत रह जाईएगा। तभी शाश्वत, बाथरूम से बाहर आकर अपने गिले बालों पर ऊंगली फंसाकर पानी के छिंटे समायरा की फेस के पास लाकर झाड़ते हुए,,, हाँ तो क्या कहा तुमने? मैं दर्पण निहारता हूंँ,,,


समायरा, उरी बाबा! ऐरे जे आमी कि कोरबो (अरे बाबा मैं क्या करूँ इसका) दांतो तले ऊंगली काटते हुए सुनने की बात तो सुनाई नहीं देती है शाश्वत को और नहीं सुनने की बात झट से सुनाई दे देती है। 

क्रमशः




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